वाणी से मिठास कम न हो ( Hindi Poem)

 वाणी से मिठास कम न हो


आपकी वाणी से मिठास कम न हो,

औरों का दिल जीतने का साहस हरदम हो।

वाणी ही गैरों को अपना है बनाती,

बनाकर अपना उन्हें दिल में बसाती।

वाणी से ही प्रेम को मिलता सम्बल है,

इसके बलबूते ही होते भाव प्रबल है।

वाणी की कर्कशता फैलाती द्वैष है,

इसकी मधुरता मिटाती हर क्लेश है।

जिसकी वाणी में नियम संयम है

वही सहयोग-सहृदयता-समर्पण का संगम है।


डा ललित फरक्या "पार्थ"

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