तुम्हारी नादानियाँ (Tumhari Nadaniyaan) Hindi Poem
तुम्हारी नादानियाँ......
तुम्हारी नादानियाँ ही
मुझे बैचेन करती है
मेरे दिन का चैन और
रातों की नींदें छिनती है
तुम्हारी नादानियाँ ही
मुझे पग-पग पर ख़ुशियों
की परिभाषा समझाती है
तुम्हारी नादानियाँ ही
मेरी रूह में सूकून का
आलम भर जाती है
तुम्हारी नादानियाँ ही
मेरे जीवन में खुशियाँ
बनकर छा जाती है।
डा ललित फरक्या
३१/०१/२०२४
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